रूपरेखा

2010 से शुरू हुई हमारी शोध-पत्रिका 'वरिमा' न केवल अकादमिक सीमाओं के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी 'हिंदी' भाषा में गुणवत्तायुक्त अनुसंधान कार्य प्रदान करने की कोशिश कर रही है।

मिशन एवं सोच

वरिमा का अर्थ होता है - श्रेष्ठता, उत्तमता, प्रधानता । हमारा प्रयास है कि 'वरिमा' के माध्यम से न केवल अन्तर-अनुशासनिक शोध कार्य को बढ़ावा मिले वरन हिन्दी में भी गम्भीर चिंतन व विमर्श की प्रक्रिया प्रारंभ की जा सके ।

सम्पादक मण्डल

  • नलिन रंजन सिंह (सम्पादक)

    आज़मगढ़ में जन्मे और पले-बढ़े नलिन रंजन सिंह कई वर्षों से लखनऊ में रह रहे हैं। 'अमरकांत की कहानियों में चित्रित समाज' विषय पर इनका शोध प्रबंध है। इन्होंने 'आंचलिक लोकगीत : एक विश्लेषण' पुस्तक का संपादन किया है। प्रकाशित पुस्तकें हैं 'बीच बहस में' और 'नई कहानी आंदोलन और हिंदी कहानी के चार स्तंभ'। शोध पत्रिका 'वरिमा' के संपादक हैं और कविता केंद्रित पत्रिका 'कविता बिहान' के प्रधान संपादक हैं। कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित हो चुके हैं। आपको वर्ष 2019 का 'श्यामधर स्मृति सम्मान' और वर्ष 2020–21 के लिए राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उत्तर प्रदेश से साहित्य गौरव सम्मान मिल चुका है। साहित्य की दुनिया में कवि, आलोचक और संपादक के रूप में प्रसिद्ध हैं। संप्रति एसोसिएट प्रोफेसर हिंदी विभाग जय नारायण पीजी कॉलेज लखनऊ में कार्यरत हैं।

  • नीलिमा पाण्डेय (सह-सम्पादक)

    नीलिमा पाण्डेय प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग में परास्नातक हैं। उनका शोध इतिहास के प्रागैतिहासिक काल पर है। इतिहास के साथ स्त्री विमर्श और साहित्य में भी उनकी समान रुचि रही है। स्त्री विमर्श पर उनकी दो पुस्तकें 'इतिहास में स्त्री अस्मिता की तलाश' और 'साइलेंस्ड वायसेज' प्रकाशित हैं जो स्त्री विमर्श के अध्ययन में एक नई कड़ी जोड़ती हैं। लोक साहित्य पर उनकी पुस्तक 'आंचलिक लोकगीत : एक विश्लेषण' लोक में उनकी अभिरुचि दर्शाती है जिसका विस्तार हमें उनके द्वारा किए गए बौद्ध साहित्य के अभिन्न अंग 'थेरीगाथा' के काव्यात्मक अनुवाद में देखने को मिलता है। 'लखनऊ शहर : कुछ देखा-कुछ सुना' उनकी एक अन्य चर्चित पुस्तक है। उनके शोधपत्र इतिहास और साहित्य की प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। संप्रति वह जय नारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय लखनऊ में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।

परामर्श मण्डल

  • हरबंस मुखिया

    हरबंस मुखिया एक भारतीय इतिहासकार हैं जिनका अध्ययन का मुख्य क्षेत्र मध्ययुगीन भारत है। मुखिया ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), नई दिल्ली में मध्यकालीन इतिहास के प्रोफेसर के रूप में सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज में काम किया। वह 1999-2002 से जेएनयू के रेक्टर थे और 2004 में सेवानिवृत्त हुए।

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  • सुवीरा जयसवाल

    सुवीरा जयसवाल एक भारतीय इतिहासकार हैं। वह अपने शोध के लिए प्राचीन भारत के सामाजिक इतिहास, विशेष रूप से जाति व्यवस्था के विकास और हिंदू पंथ में क्षेत्रीय देवताओं के विकास और अवशोषण में उनके शोध के लिए जानी जाती हैं।

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  • आनंद कुमार

    आनंद कुमार, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं ।

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